One Rank One Pension का बकाया तीन महीने और नहीं चुकाना चाहती सरकार, सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार
Ex Servicemen Demand: 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, “तीन महीने की समय अवधि जो 16 मार्च के फैसले में तय की गई थी, उसे आज से तीन महीने की अवधि के लिए बढ़ाया जाता है।”
Government Asked For Extension: केंद्र ने सशस्त्र बलों के सभी पात्र पेंशनभोगियों को वन रैंक-वन पेंशन (OROP) योजना के बकाए के भुगतान के लिए 15 मार्च, 2023 तक समय बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है। जून में पहली बार शीर्ष अदालत (Apex Court) में जाने और गणना करने और भुगतान करने के लिए तीन महीने की मांग के बाद केंद्र सरकार ने इस दफा दूसरी बार बकाया राशि का भुगतान (Payment of Arrears) करने के लिए विस्तार की मांग की है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि इसमें कोई संवैधानिक कमी नहीं है
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court), जिसने 16 मार्च को केंद्र द्वारा स्वीकार किए गए ओआरओपी सिद्धांत को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें किसी भी तरह की “संवैधानिक कमी (Constitutional Infirmity)” नहीं है और “मनमाना (Arbitrary)” नहीं है, ने सरकार से तीन महीने के भीतर बकाया का भुगतान करने को कहा था।
DESW) ने अगले संशोधन के लिये सारिणी तैयार करने को कहा
केंद्र ने अपनी नई याचिका में कहा कि रक्षा लेखा महानियंत्रक (CGDA) कार्यालय से रक्षा मंत्रालय के पूर्वसैनिक कल्याण विभाग (DESW) ने मार्च 2022 में पेंशन के अगले संशोधन के लिये सारिणी तैयार करने को कहा था। शीर्ष अदालत के 16 मार्च 2022 के फैसले के तत्काल बाद यह कदम उठाया गया था।
केंद्र ने याचिका में कहा कि सीजीडीए कार्यालय ने कुछ मुद्दे उठाते हुए उनपर विभाग से स्पष्टीकरण मांगा था। उसने कहा कि विभाग की तरफ से अप्रैल 2022 में आवश्यक स्पष्टीकरण जारी किए गए। केंद्र ने कहा कि दोनों हितधारक विभागों से प्राप्त टिप्पणियों को शामिल करते हुए एक अंतिम कैबिनेट नोट तैयार किया गया।
याचिका में कहा गया, “मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सीजीडीए द्वारा विभिन्न प्रकार की पेंशन सारिणी तैयार करने की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है और इसे 15 मार्च, 2023 तक और बढ़ाने की आवश्यकता है।”
वन रैंक वन पेंशन को लेकर लंबे समय से पूर्व सैनिक आवाज उठाते रहे हैं। सरकार के स्तर पर भी इस पर कई बार विचार-विमर्श हुआ। संसद में और संसद के बाहर भी इसको लेकर राजनीतिक सक्रियता देखी जा रही थी। पूर्व सैनिकों का कहना था कि देश की रक्षा के लिए आगे बढ़कर सेवा करने वाले पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए सरकार को उनकी मांग पर तत्काल अमल करना चाहिए।
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