Extended working hours for Central Government employees
सरकारी कर्मचारियों को भी अब करना पड़ सकता है 9 घंटे काम, सरकार ने जारी किया ड्राफ्ट
GovernmentStaff
अभी तक सांगठनिक
और गैर सांगठिनक क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों के Duty
Hours लंबे होते थे ,
लेकिन आने वाले दिनों में सरकारी कर्मचारियों के Duty
Hours में बड़ा परिवर्तन करने का मसौदा केंद्र सरकार लाने
जा रही है। जी हां, यह
सौ फीसदी सच है। मतलब वह दिन दूर नहीं, जब
सरकारी नौकरी में बैठे कर्मचारियों को 9
घंटे दफ्तर में बैठने पड़ सकते हैं वरना Duty
Hours से पहले दफ्तर से घर की ओर कूच करना कई विभागों के सरकारी कर्मचारियों
की पारंपरिक शैली काफी मशूहर है।
New working hour draft for Central Government employees
सरकारी कर्मचारियों को भी अब 9 घंटे की शिफ्ट करनी पड़ सकती है। दरअसल
केंद्र सरकार ने वेज कोड नियमों का नया ड्राफ्ट जारी कर दिया है। सरकार की ओर से
जारी इस ड्राफ्ट में 9 घंटे काम
करवाने की सिफारिश की गई है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि भविष्य में एक एक्सपर्ट
कमेटी मिनिमम वेज तय करने की सिफारिश सरकार से करेगी। आपको बता दें कि अभी मौजूदा
समय में सराकरी महकमों में 8 घंटे
रोजाना कामकाज का नियम है। अभी इसी नियम के तहत 26 दिन काम के बाद सैलरी तय होती है।
Government Employees |
मिनिमम वेज पर भी सुझाव
इससे
पहले श्रम मंत्रालय के एक इंटरनल पैनल ने जनवरी में अपनी रिपोर्ट में 375
रुपए प्रतिदिन के हिसाब से नेशनल मिनिमम वेज तय करने की
सिफारिश की थी। जिसके मुताबिक पैनल ने इस मिनिमम वेज को जुलाई 2018
से लागू करने को कहा था। सात सदस्यों वाले इस पैनल ने
मिनिमम मंथली वेज 9750 रुपए
रखने की सिफारिश की थी। साथ ही शहरी कामगारों के लिए 1430
रुपए का हाउसिंग अलाउंस देने का सुझाव दिया था।
आबादी के हिसाब से होगा अब फैसला
सरकार
की ओर से प्रस्तावित ड्राफ्ट के मुताबिक मिनिमम वेज तय करने के लिए पूरे देश को
तीन जियोग्राफिकल वर्गों में बांटने की सिफारिश की है. इसमें पहले वर्ग में 40
लाख या इससे ज्यादा की आबादी वाले मेट्रोपोलिटन शहर,
दूसरे वर्ग में 10
से 40 लाख
तक की आबादी वाले नॉन मेट्रोपोलिटन शहर और तीसरे वर्ग में ग्रामीण इलाकों को शामिल
किया गया
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